मन में हो उमंग प्रभु को पाने की। करना पड़ेगा कठिन तपस्या तुम्हें। मन में हो उमंग प्रभु को पाने की। करना पड़ेगा कठिन तपस्या तुम्हें।
यही श्रद्धा यही आस जीवन अमृत। यही श्रद्धा यही आस जीवन अमृत।
कोई त्याग नहीं ,अनुराग नहीं है कैसे तुझे रिझाऊं, प्रेम का भूखा ,दरस को तरसूँ, कोई त्याग नहीं ,अनुराग नहीं है कैसे तुझे रिझाऊं, प्रेम का भूखा ,दरस को तरसूँ,
मिल जाती हम भव्य सागर में पूर्ण होती है आस पिया मिलन की l मिल जाती हम भव्य सागर में पूर्ण होती है आस पिया मिलन की l
शक की कोई गुंजाइश भी हमारी रिश्तों के बीच ना आए। शक की कोई गुंजाइश भी हमारी रिश्तों के बीच ना आए।
सज्जन सौहार्द पूर्ण व्यक्तित्व मृद भाषी लोक विचार महत्व सज्जन सौहार्द पूर्ण व्यक्तित्व मृद भाषी लोक विचार महत्व